Gratuity Rules में क्रांतिकारी बदलाव, हाईकोर्ट ने दी मंजूरी – जानें कैसे और कब मिलेगा पूरा लाभ

हाल ही में हाईकोर्ट ने कर्मचारियों के हित में ग्रेच्युटी (Gratuity) को लेकर एक बड़ा फैसला सुनाया है, जिससे लाखों कर्मचारियों को राहत मिली है। ग्रेच्युटी एक महत्वपूर्ण सेवानिवृत्ति लाभ है, जो कर्मचारी को उसकी सेवा समाप्ति के समय दी जाती है। अक्सर देखा गया है कि कई कंपनियां ग्रेच्युटी राशि में कटौती करती हैं या भुगतान में देरी करती हैं, जिससे कर्मचारियों को आर्थिक परेशानी होती है।

अब हाईकोर्ट के नए फैसले के बाद कर्मचारियों को उनकी पूरी ग्रेच्युटी राशि बिना किसी कटौती के मिलेगी, बशर्ते उन्होंने न्यूनतम सेवा अवधि पूरी कर ली हो। ग्रेच्युटी का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि यह कर्मचारी के भविष्य की आर्थिक सुरक्षा का आधार बनती है। इस फैसले के बाद नियोक्ता किसी भी परिस्थिति में ग्रेच्युटी देने से इनकार नहीं कर सकते, चाहे कंपनी की आर्थिक स्थिति कैसी भी हो।

कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि ग्रेच्युटी का भुगतान कर्मचारी की अंतिम सैलरी के आधार पर ही होगा और इसमें किसी भी प्रकार की अनुचित कटौती असंवैधानिक मानी जाएगी।

New Gratuity Rules Update:

हाईकोर्ट के इस फैसले ने ग्रेच्युटी नियमों में कई अहम बदलाव किए हैं, जिससे कर्मचारियों को अब ज्यादा लाभ मिलेगा। आइए जानते हैं ग्रेच्युटी से जुड़े मुख्य बिंदु, पात्रता, कैलकुलेशन, और हाईकोर्ट के फैसले के बाद हुए बदलाव।

ग्रेच्युटी क्या है?

  • ग्रेच्युटी एकमुश्त राशि है, जो कर्मचारी को सेवा समाप्ति, रिटायरमेंट, मृत्यु, छंटनी या अनुबंध समाप्ति की स्थिति में मिलती है।
  • इसके लिए कर्मचारी को कम से कम 5 साल तक लगातार सेवा करनी होती है।
  • ग्रेच्युटी की गणना कर्मचारी की अंतिम सैलरी और सेवा अवधि के आधार पर होती है।

हाईकोर्ट के फैसला

  • कर्मचारियों को उनकी पूरी ग्रेच्युटी राशि मिलेगी, किसी भी प्रकार की कटौती असंवैधानिक है।
  • नियोक्ता ग्रेच्युटी देने से इनकार नहीं कर सकते।
  • भुगतान की समय सीमा 30 दिन अनिवार्य, वरना ब्याज देना होगा।
  • अब ग्रेच्युटी केवल रिटायरमेंट ही नहीं, बल्कि अनुबंध समाप्ति, मृत्यु, छंटनी जैसे मामलों में भी मिलेगी।

ग्रेच्युटी नियम

पहलूविवरण/नया नियम (हाईकोर्ट के अनुसार)
न्यूनतम सेवा अवधि5 साल
पात्र कर्मचारीसरकारी/निजी क्षेत्र, 10+ कर्मचारी वाली संस्था
सैलरी में क्या शामिलबेसिक + डीए + अन्य फिक्स भत्ते
अधिकतम ग्रेच्युटी सीमा₹20 लाख (सीमा बढ़ाने पर विचार)
कैलकुलेशन का आधारअंतिम कुल वेतन (फिक्स्ड भत्ते सहित)
भुगतान की समय सीमा30 दिन (अनिवार्य), देरी पर ब्याज
अपील/शिकायत प्रक्रियाकोर्ट के जरिए सीधा न्याय
ग्रेच्युटी मिलने की स्थितिरिटायरमेंट, अनुबंध समाप्ति, मृत्यु, छंटनी
शिकायत की स्थितिकोर्ट स्वतः संज्ञान ले सकता है
टैक्स छूट₹20 लाख तक टैक्स फ्री

ग्रेच्युटी पात्रता और नियम

  • कर्मचारी ने कम से कम 5 साल लगातार सेवा की हो।
  • कंपनी में 10 या उससे अधिक कर्मचारी हों।
  • सरकारी, निजी, फैक्ट्री, माइन, रेलवे, पोर्ट आदि सभी क्षेत्रों के कर्मचारी पात्र हैं।
  • ग्रेच्युटी रिटायरमेंट, मृत्यु, छंटनी, अनुबंध समाप्ति, VRS आदि सभी स्थितियों में मिलती है।
  • ग्रेच्युटी का भुगतान 30 दिन के भीतर अनिवार्य है, वरना नियोक्ता को ब्याज देना होगा।

ग्रेच्युटी कैलकुलेशन फॉर्मूला

1. ग्रेच्युटी एक्ट के तहत कवर कर्मचारी

फॉर्मूला:ग्रेच्युटी=अंतिम वेतन×1526×सेवा के वर्ष\text{ग्रेच्युटी} = \text{अंतिम वेतन} \times \frac{15}{26} \times \text{सेवा के वर्ष}ग्रेच्युटी=अंतिम वेतन×2615×सेवा के वर्ष

  • अंतिम वेतन = बेसिक + डीए + फिक्स भत्ते
  • सेवा के वर्ष: 6 महीने से अधिक होने पर अगले वर्ष में राउंड-ऑफ

उदाहरण:
अगर आपकी अंतिम सैलरी ₹80,000 है और आपने 10 साल 4 महीने सेवा दी है, तो ग्रेच्युटी:80,000×1526×10=₹4,62,00080,000 \times \frac{15}{26} \times 10 = ₹4,62,00080,000×2615×10=₹4,62,000

2. ग्रेच्युटी एक्ट के तहत कवर नहीं होने वाले कर्मचारी

फॉर्मूला:ग्रेच्युटी=अंतिम वेतन×1530×सेवा के वर्ष\text{ग्रेच्युटी} = \text{अंतिम वेतन} \times \frac{15}{30} \times \text{सेवा के वर्ष}ग्रेच्युटी=अंतिम वेतन×3015×सेवा के वर्ष

उदाहरण:80,000×1530×10=₹4,00,00080,000 \times \frac{15}{30} \times 10 = ₹4,00,00080,000×3015×10=₹4,00,000

पुराने और नए नियमों की तुलना

पहलूपुराने नियमनए नियम (हाईकोर्ट के अनुसार)
न्यूनतम सेवा अवधि5 सालकोई बदलाव नहीं
सैलरी में क्या शामिलकेवल बेसिक + डीएबेसिक + डीए + अन्य फिक्स भत्ते
अधिकतम सीमा₹20 लाख तकसीमा बढ़ाने पर विचार जारी
कैलकुलेशन आधारअंतिम बेसिक सैलरीकुल अंतिम वेतन (फिक्स्ड भत्ते सहित)
अपील प्रक्रियाश्रम आयुक्तकोर्ट के जरिए सीधा न्याय
भुगतान समय सीमा30 दिनअनिवार्य रूप से 30 दिन, वरना ब्याज
शिकायत की स्थितिकर्मचारी को खुद प्रयासकोर्ट स्वतः संज्ञान ले सकता है

ग्रेच्युटी से जुड़े अन्य महत्वपूर्ण बिंदु

  • ग्रेच्युटी टैक्स फ्री है, अधिकतम ₹20 लाख तक।
  • नियोक्ता अधिक राशि भी दे सकता है, लेकिन टैक्स छूट ₹20 लाख तक ही है।
  • ग्रेच्युटी के लिए कर्मचारी को फॉर्म F भरना होता है।
  • भुगतान न होने पर कर्मचारी कोर्ट में जा सकता है।
  • ग्रेच्युटी PF या पेंशन से अलग है – यह एकमुश्त राशि होती है।

ग्रेच्युटी और अन्य लाभों की तुलना

लाभग्रेच्युटीप्रोविडेंट फंड (PF)पेंशन
भुगतान समयसेवा समाप्ति पर एकमुश्तमासिक योगदान, सेवा अवधि मेंरिटायरमेंट के बाद मासिक
पात्रता5 साल सेवाकोई न्यूनतम सीमा नहींरिटायरमेंट के बाद
टैक्स छूट₹20 लाख तकटैक्स छूट अलग-अलगटैक्स नियम लागू
योगदाननियोक्ता द्वाराकर्मचारी + नियोक्तानियोक्ता/सरकार
राशिअंतिम वेतन के आधार परयोगदान और ब्याज के आधार परसेवा अवधि और वेतन के आधार पर

हाईकोर्ट के फैसले के बाद कर्मचारियों को क्या फायदा?

  • अब कर्मचारियों को उनकी पूरी ग्रेच्युटी राशि मिलेगी, किसी भी प्रकार की कटौती नहीं होगी।
  • भुगतान में देरी होने पर नियोक्ता को ब्याज देना अनिवार्य होगा।
  • कर्मचारी कोर्ट के जरिए सीधा न्याय ले सकते हैं।
  • ग्रेच्युटी की गणना में अब फिक्स भत्ते भी शामिल होंगे, जिससे राशि बढ़ेगी।
  • रिटायरमेंट के अलावा अन्य स्थितियों (मृत्यु, छंटनी, अनुबंध समाप्ति) में भी ग्रेच्युटी मिलेगी।

ग्रेच्युटी से जुड़े अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

  • क्या 5 साल से कम सेवा पर ग्रेच्युटी मिल सकती है?
    आम तौर पर नहीं, लेकिन कुछ मामलों में (मृत्यु, दुर्घटना) मिल सकती है।
  • अगर कंपनी 10 से कम कर्मचारियों की हो तो क्या ग्रेच्युटी मिलेगी?
    कंपनी पर एक्ट लागू नहीं होगा, लेकिन नियोक्ता चाहे तो दे सकता है।
  • ग्रेच्युटी पर टैक्स कितना लगता है?
    ₹20 लाख तक टैक्स फ्री है, उससे ऊपर टैक्स लागू होगा।
  • भुगतान में देरी होने पर क्या करें?
    कर्मचारी कोर्ट या श्रम आयुक्त के पास शिकायत कर सकते हैं।

निष्कर्ष:

हाईकोर्ट के नए फैसले ने कर्मचारियों को ग्रेच्युटी के मामले में बड़ा लाभ दिया है। अब कर्मचारियों को उनकी सेवा के अनुसार पूरी ग्रेच्युटी राशि मिलेगी और नियोक्ता किसी भी तरह की कटौती नहीं कर सकते। इससे कर्मचारियों के भविष्य की आर्थिक सुरक्षा और मजबूत होगी।

Advertisements

Disclaimer: यह लेख उपलब्ध सार्वजनिक जानकारी और हालिया हाईकोर्ट के फैसले पर आधारित है। हाईकोर्ट का फैसला वास्तविक है और इससे जुड़े नियमों में बदलाव हुए हैं, जिससे कर्मचारियों को अब ज्यादा लाभ मिलेगा। हालांकि, किसी भी कानूनी कार्रवाई या व्यक्तिगत मामले में विशेषज्ञ सलाह अवश्य लें। नियम समय-समय पर बदल सकते हैं, इसलिए नवीनतम सरकारी अधिसूचना या कोर्ट आदेश अवश्य देखें।

Leave a Comment

Join Whatsapp