रजिस्ट्री के समय ये 7 बातें ज़रूर जांचें, एक छोटी भूल पड़ सकती है भारी! Property Registration Tips 2025

घर या जमीन खरीदना हर किसी के जीवन का एक बड़ा सपना होता है। लोग अपनी पूरी जिंदगी की कमाई लगाकर प्रॉपर्टी खरीदते हैं, लेकिन अगर रजिस्ट्री के समय थोड़ी भी लापरवाही हो जाए तो ये सपना बहुत बड़ी परेशानी में बदल सकता है।

प्रॉपर्टी रजिस्ट्री (Property Registry) एक कानूनी प्रक्रिया है, जिसमें कई तरह के दस्तावेज, फीस और नियम शामिल होते हैं। अगर इस प्रक्रिया में कोई गलती हो जाए, तो न सिर्फ आपकी प्रॉपर्टी पर खतरा बन सकता है, बल्कि भविष्य में बैंक लोन, रीसैल या कानूनी विवाद जैसी समस्याएं भी खड़ी हो सकती हैं।

भारत में हर साल हजारों लोग प्रॉपर्टी खरीदते हैं, लेकिन कई बार जानकारी की कमी या जल्दबाजी के कारण वे ऐसी गलतियां कर बैठते हैं, जिनका खामियाजा उन्हें लंबे समय तक भुगतना पड़ता है। फर्जी रजिस्ट्री, गलत दस्तावेज, बकाया टैक्स, डबल रजिस्ट्री जैसी समस्याएं आम हो गई हैं।

इसीलिए, अगर आप भी घर या जमीन खरीदने जा रहे हैं, तो रजिस्ट्री के समय इन 7 जरूरी बातों की जांच जरूर करें। आइए जानते हैं कि रजिस्ट्री के समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए, ताकि आपकी मेहनत की कमाई सुरक्षित रहे और भविष्य में कोई परेशानी न आए।

Property Registry: रजिस्ट्री के समय किन 7 बातों की जांच जरूरी?

नीचे टेबल में प्रॉपर्टी रजिस्ट्री (Property Registration) की जरूरी जानकारी और प्रक्रिया का संक्षिप्त ओवरव्यू दिया गया है:

बिंदुविवरण
प्रक्रिया का नामप्रॉपर्टी रजिस्ट्री (Property Registration)
उद्देश्यमालिकाना हक का कानूनी हस्तांतरण
मुख्य दस्तावेजसेल डीड, टाइटल डीड, टैक्स रसीद, आईडी प्रूफ
फीस व चार्जेसस्टाम्प ड्यूटी, रजिस्ट्रेशन फीस
रजिस्ट्रार ऑफिसस्थानीय उप-पंजीयक कार्यालय (Sub-Registrar Office)
समय सीमाआमतौर पर 4 महीने के भीतर रजिस्ट्री जरूरी
जांच के मुख्य बिंदुटाइटल, दस्तावेज, टैक्स, लोन, डुप्लीकेसी, आदि
कानूनी सलाहवकील या प्रॉपर्टी एक्सपर्ट से सलाह लेना जरूरी

अब जानते हैं विस्तार से कि रजिस्ट्री के समय किन 7 बातों की जांच जरूर करनी चाहिए:

1. प्रॉपर्टी टाइटल और ओनरशिप की जांच (Property Title Verification)

सबसे पहली और सबसे जरूरी बात है कि जिस प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री कराने जा रहे हैं, उसका टाइटल (Title) साफ और स्पष्ट होना चाहिए। यानी, विक्रेता (Seller) के पास उस प्रॉपर्टी का पूरा मालिकाना हक (Ownership) होना चाहिए। इसके लिए टाइटल डीड (Title Deed), पिछली रजिस्ट्री, खतौनी, और अन्य कागजात ध्यान से जांचें। अगर टाइटल चेन (Title Chain) में कोई गड़बड़ी है, तो आगे चलकर कानूनी विवाद हो सकता है।

  • पुराने मालिकों की डिटेल्स और ट्रांजैक्शन हिस्ट्री जरूर देखें।
  • अगर किसी भी दस्तावेज में संदेह हो, तो वकील से सलाह लें।

2. सभी जरूरी दस्तावेजों की जांच (Document Verification)

रजिस्ट्री के समय सभी जरूरी दस्तावेज पूरे और सही होने चाहिए। इनमें शामिल हैं:

  • सेल डीड (Sale Deed)
  • टाइटल डीड (Title Deed)
  • एनओसी (No Objection Certificate)
  • टैक्स रसीदें (Property Tax Receipts)
  • आधार कार्ड, पैन कार्ड, फोटो आईडी प्रूफ
  • बिजली, पानी, हाउस टैक्स के ताजा बिल

अगर कोई दस्तावेज अधूरा या गलत है, तो रजिस्ट्री रुक सकती है या बाद में रद्द भी हो सकती है।

3. स्टाम्प ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन फीस की सही गणना (Stamp Duty & Registration Fee Calculation)

प्रॉपर्टी रजिस्ट्री के लिए स्टाम्प ड्यूटी (Stamp Duty) और रजिस्ट्रेशन फीस (Registration Fee) का भुगतान करना जरूरी है।

  • स्टाम्प ड्यूटी हर राज्य में अलग-अलग होती है और प्रॉपर्टी के मार्केट वैल्यू या सर्कल रेट पर निर्भर करती है।
  • रजिस्ट्रेशन फीस आमतौर पर प्रॉपर्टी वैल्यू का 1% होती है।
  • फीस का सही-सही भुगतान करें, नहीं तो रजिस्ट्री में देरी या पेनल्टी लग सकती है।

4. प्रॉपर्टी पर कोई बकाया या लोन तो नहीं? (Outstanding Dues & Loan Check)

रजिस्ट्री से पहले यह जरूर जांचें कि प्रॉपर्टी पर किसी भी तरह का बकाया (Outstanding Dues) या लोन (Loan) तो नहीं है:

  • हाउस टैक्स, बिजली, पानी, टेलीफोन, सोसाइटी चार्जेस आदि के ताजा बिल देखें।
  • अगर प्रॉपर्टी पर कोई बैंक लोन या बंधक (Mortgage) है, तो उसकी जानकारी जरूर लें।
  • एनकंब्रेंस सर्टिफिकेट (Encumbrance Certificate) भी जरूर देखें, जिससे पता चलेगा कि प्रॉपर्टी पर कोई कानूनी या वित्तीय बोझ तो नहीं है।

5. फर्जीवाड़े और डुप्लीकेट रजिस्ट्री से बचाव (Avoid Fake Registry & Double Sale)

आजकल फर्जी रजिस्ट्री और डुप्लीकेट सेल के केस बढ़ रहे हैं:

  • एक ही प्रॉपर्टी की दो बार रजिस्ट्री, सरकारी जमीन की रजिस्ट्री, केस पेंडिंग जमीन की रजिस्ट्री जैसी धोखाधड़ी से बचें।
  • असली और नकली रजिस्ट्री की पहचान करें। पुराने और नए सभी दस्तावेजों को क्रॉस चेक करें।
  • सेलर से ओरिजिनल डॉक्यूमेंट की कॉपी लें, और जरूरत पड़े तो रजिस्ट्री ऑफिस से वेरिफिकेशन कराएं।
  • खतौनी, जमाबंदी व कोर्ट केस की स्थिति भी जरूर जांचें।

6. सेल डीड और सभी डिटेल्स की बारीकी से जांच (Sale Deed & Details Verification)

सेल डीड (Sale Deed) में दर्ज सभी डिटेल्स जैसे नाम, पता, प्रॉपर्टी का क्षेत्रफल, लोकेशन, बाउंड्री, फ्लैट नंबर आदि को ध्यान से जांचें:

  • कई बार सेल डीड में टाइपिंग या स्पेलिंग मिस्टेक हो जाती है, जिससे आगे चलकर बड़ा नुकसान हो सकता है।
  • दस्तावेज में कोई भी गलती हो तो रजिस्ट्रेशन से पहले ही सही करवा लें।
  • सभी गवाहों (Witnesses) के दस्तावेज और सिग्नेचर भी चेक करें।

7. ओरिजिनल डॉक्यूमेंट्स का हैंडओवर (Original Document Handover)

रजिस्ट्री के बाद विक्रेता से सभी ओरिजिनल डॉक्यूमेंट्स लेना न भूलें:

  • सेल डीड, टाइटल डीड, एनओसी, टैक्स रसीद, एनकंब्रेंस सर्टिफिकेट, सॉसाइटी एनओसी आदि।
  • एक हैंडओवर लिस्ट बनवाएं और दोनों पक्षों के सिग्नेचर लें।
  • अगर रजिस्ट्री GPA (General Power of Attorney) के जरिए हो रही है, तो उसकी ओरिजिनल कॉपी भी जरूर लें।

रजिस्ट्री के समय होने वाली आम गलतियां और उनके नुकसान

  • गलत नाम, पता या प्रॉपर्टी डिटेल दर्ज होना।
  • स्टाम्प ड्यूटी कम या गलत भरना।
  • दस्तावेजों में अधूरी जानकारी।
  • रजिस्ट्री के तुरंत बाद ओरिजिनल डॉक्यूमेंट न लेना।
  • प्रॉपर्टी पर लोन या बकाया रह जाना।
  • टाइटल क्लियर न होना।

इन गलतियों के कारण आपको लोन मिलने में दिक्कत हो सकती है, प्रॉपर्टी रीसैल में परेशानी आ सकती है, कानूनी विवाद हो सकता है या रजिस्ट्री रद्द भी हो सकती है।

रजिस्ट्री के समय जरूरी दस्तावेजों की लिस्ट (Essential Documents for Property Registration)

दस्तावेज का नामविवरण
सेल डीड (Sale Deed)खरीद-बिक्री का मुख्य दस्तावेज
टाइटल डीड (Title Deed)प्रॉपर्टी के मालिकाना हक का प्रमाण
एनओसी (NOC)नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट
टैक्स रसीदें (Tax Receipts)संपत्ति कर, हाउस टैक्स आदि की रसीदें
आईडी प्रूफ (ID Proof)आधार कार्ड, पैन कार्ड, वोटर आईडी आदि
एड्रेस प्रूफ (Address Proof)बिजली बिल, पानी बिल, पासपोर्ट आदि
एनकंब्रेंस सर्टिफिकेटप्रॉपर्टी पर कोई लोन या बकाया नहीं
गवाहों के दस्तावेजदोनों गवाहों की आईडी और एड्रेस प्रूफ

रजिस्ट्री के समय पूछे जाने वाले जरूरी सवाल (Frequently Asked Questions)

  • क्या रजिस्ट्री के बाद भी दस्तावेज में गलती सुधारी जा सकती है?
    • हां, रजिस्ट्रेशन डिपार्टमेंट में रेक्टिफिकेशन एप्लिकेशन देकर गलती सुधारी जा सकती है, लेकिन इसमें समय और खर्च दोनों लगते हैं।
  • अगर सेल डीड में गलती हो जाए तो क्या नुकसान है?
    • बैंक लोन, रीसैल, कानूनी विवाद, रजिस्ट्री कैंसिल जैसी समस्याएं आ सकती हैं।
  • स्टाम्प ड्यूटी कैसे कैलकुलेट करें?
    • प्रॉपर्टी के मार्केट वैल्यू या सर्कल रेट, दोनों में से जो ज्यादा हो, उस पर राज्य सरकार द्वारा तय प्रतिशत के हिसाब से।

रजिस्ट्री के समय सावधानी बरतने के टिप्स (Tips for Safe Property Registry)

  • वकील या प्रॉपर्टी एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें।
  • सभी दस्तावेजों की ओरिजिनल और कॉपी दोनों रखें।
  • रजिस्ट्री के बाद सभी डॉक्यूमेंट्स की हैंडओवर लिस्ट बनवाएं।
  • जरूरत पड़े तो रजिस्ट्री ऑफिस से वेरिफिकेशन कराएं।
  • प्रॉपर्टी की मार्केट वैल्यू और गाइडलाइन वैल्यू पहले से जान लें।
  • किसी भी डाउट या गलती को नजरअंदाज न करें।

निष्कर्ष (Conclusion)

रजिस्ट्री के समय छोटी-छोटी गलतियां भी आगे चलकर बहुत बड़ी परेशानी बन सकती हैं। इसलिए, ऊपर बताई गई 7 जरूरी बातों की जांच जरूर करें और हर स्टेप पर सावधानी बरतें। प्रॉपर्टी खरीदना आपकी जिंदगी की सबसे बड़ी डील हो सकती है, इसे सुरक्षित और कानूनी रूप से मजबूत बनाना आपकी जिम्मेदारी है। जरूरत पड़े तो वकील या प्रॉपर्टी एक्सपर्ट की मदद लें और दस्तावेजों की जांच में कोई भी कसर न छोड़ें।

Disclaimer:
यह लेख केवल जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। प्रॉपर्टी रजिस्ट्री एक पूरी तरह से असली और कानूनी प्रक्रिया है, लेकिन इसमें धोखाधड़ी और गलत दस्तावेजों के मामले भी सामने आते हैं। इसलिए, किसी भी प्रॉपर्टी की खरीद-फरोख्त या रजिस्ट्री से पहले कानूनी सलाह जरूर लें और सभी दस्तावेजों की पूरी जांच करें। लेख में दी गई जानकारी को अंतिम निर्णय मानकर कोई बड़ा फैसला न लें, बल्कि अपने स्थानीय रजिस्ट्रार ऑफिस या वकील से सलाह जरूर लें।

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